एक स्वप्न लिये हृदय में -
जिये जाता हुँ ये जीवन !
कि दुँ तुम्हरे जीवन को -
अलौकिक, अप्रतिम औ -
बहुआयामी, बहुधा रंग
लेखनी से करूँ शिंगार तुम्हारा -
मुस्कनों की दूं लाली तुम्हें -
शब्दों का ये परिधान -
पहना दूं एक भाव-दुकूल -
पहना दूं एक भाव-दुकूल -
और छोड़ जाना बस एक फूल
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment