Monday, October 09, 2006

Guljaar's

एक ही ख्वाब कई बार यूँ ही देखा मैने
तूने साड़ी में उड़स ली हैं मेरी चाभियाँ घर की
और चली आई है बस यूँ ही मेरा हाथ पकड़कर
घर की हर चीज़ संभाले हुए अपनाए हुए तू

तू मेरे पास मेरे घर पे, मेरे साथ है सोनू.....

गुनगुनाते हुए निकली है गुसलखाने से जब भी
अपने भीगे हुए बालों से टपकता हुआ पानी
मेरे चेहरे पर चटक देती है तू सोनू की बच्ची.

1 comment:

  1. mera sabse pasandeeda gana hai Gulzar sahab ka ye Nimishaji...aur lagta hai aapka bhi...

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