Thursday, September 28, 2006

आगमन

बारिश की बूंदों के साथ-
बहकर आयी महकती पवन-
खुश्बू लिये तुम्हारी पलकों की !
दरवाजे के सहारे चढी-
सोनजुही की बेल-
करने लगी अपना ऋँगार-
धारण किये फिर पीले परिधान !
हरे पौधों के बीच-
पड़ती मासूम धूप में-
महादेवी का गिल्लू-
फिर किलक उठा है-
मानो फेरा हो उस पर हाथ-
राम ने फिर एक बार !
उदास बैठी उस आम शाख पर-
वह प्यारी नन्हीं कोयल
फिर तन्मय हो गा उठी-
सबका है एक ही तो राग-
कि तुम लौट आयी हो आस-पास !!

written on 17-08-1995 by my dear husband (for me ;))

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